आज भी तलाश हैं ...

     जिन्दगी कश्ती सी हो गई है, 
     हमनें भी समंदर में उतार दी है, 
     बिना मंजिल यूँ  ही राही सा हूँ, 
     हवाओं के इशारे पर नाचते हुए, 
     पानी अथाह है मेरे आस-पास, 
     मगर फिर भी मैं बहुत प्यासा हूँ, 
     वीरान होती कोरे कागज सी तो, 
     कुछ रंग खरीदकर भर देता इसमें , 
     मगर 'कुछ रंग' बाजार में नहीं मिलते, 
     यारी- दोस्ती एक एहसास होती हैं, 
     और ये "किसी-किसी" के पास होती हैं, 
     कहने को बहुत से संगी-साथी है, लेकिन
     चल सके कदम दो कदम जो साथ, 
     कह सके जिससे हृदय की बात, 
     हम स्वीकार सके जिसे जस का तस,
     और वह भी मुझे अपना ले ऐसे ही, 
     उस शख्स की आज भी तलाश हैं, 
     आज भी तलाश हैं। 
      
      

     
     

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