हम गुलदस्तें देने की रवायत बदलते हैं,
अगली बार जब तुम आओ मुझसे मिलने,
इन फूलों को गमलों के साथ ले आना।
मैं गमलों को अपनी बालकनी में सजा दूँगी,
और तुम्हें याद करके इन्हें हर दिन सिचूंँगी ,
इन नन्हें पौधों की आरर टहनियों पर,
जब रंग-बिरंगे फूल खिलने लगेंगे तब,
संतोष होगा हमें 'प्रेम' को खिलता देख के,
हवाओं के संग-संग झूमता हुआ देख के।
1.रवायत=प्रचलन, प्रथा
जवाब देंहटाएं2.आरर=कमजोर या लचकदार