मुझे शक था उस शख्स पर,
कि अपनी जुबां पर न टिक पायेगा,
जो आज कह रहा है ,कल मुकर जायेगा,
हमें भी आदत नहीं किसी की खुशामद की,
जिन्हें आना है आये, जाने वाला खुद निकल जायेगा,
कसक नहीं है मुझे जरा भी किसी के आने-जाने की,
हाँ, कुछ अश्क आँखों से जरूर बिखर जायेगा,
बडी़ जालिम है ये वक्त की सियासत,
न जाने किस मोड़ पर तू शरण चाहेंगा,
हम हुनर जानते हैं, गमों से मोहब्बत का,
बेखौफ आना तू जरूर रहम पायेगा।
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