नींद


नींद कितनी खूबसूरत होती है ना? जब दिनभर की भागदौड़ के बाद थककर चूर हो जाते हैं ,तब नींद हमें सुकून ,नई ऊर्जा व फिर से जिंदगी के सफर में आगे बढ़ने का उत्साह देती हैं।कभी-कभी तो नींद में ही जीवन के सपने मिल जाते हैं और इन सपनों को पूरा करने के लिए जागना पड़ता है ,मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन यही नींद अगर ऐसे समय पर आयें जब आप का समय पहले से ही किसी आवश्यक कार्य के लिए सुनिश्चित किया गया हो।
अब आज का ही वाकया ले लीजिए। आज हमारे द्वितीय आंतरिक मूल्यांकन 2019-20 का आखिरी दिन था, पहली परीक्षा 11:30 - 12:30 बजे तक थी।प्रतिदिन की तरह सुबह समय से उठे,प्रातः भ्रमण पर गए, दैनिक क्रिया से निवृत्त हुए, प्रणायाम किए और कुछ देर पढ़ाई भी की। अभी परीक्षा शुरू होने में डेढ़ घंटे का वक्त था, हम कुर्सी पर बैठकर अपने नोट्स देख रहे थे। हमको झपकी आने लगी,हमने सोचा अभी वक्त है,कुछ देर आराम कर लेते हैं और हम सो गए। हम ऐसे सोए कि हमें याद  ही नहीं रहा परीक्षा देने जाना है,हमारी नींद खुलती है 12:00 बजे। परीक्षा का आधा घंटे का समय निकल चुका होता है ,हम  छात्रावास से भागते- भागते  5 मिनट में परीक्षा कक्ष में पहुंँचते हैं। वैसे तो अभी आधे घंटे ही बीते थे लेकिन लगभग आधे लोग परीक्षा देकर जा चुके थे हमने भी जल्दी-जल्दी परीक्षा लिखी, 25 मिनट का वक्त लगा। फिर कापी जमा करते समय मैम ने पूछा कि लेट क्यों हो गये? हमने कहा कि मैम सो गए थे ,यही कहकर बाहर चले आये। अब आप सोचिए जरा अगर हम आधे घंटे और देर से उठते तो परीक्षा समाप्त हो चुकी होती है और हम अनुपस्थित दर्ज कर दिए जातें।

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