मुस्कुराहट शब्दों को छुपा लेतीं है,
मगर कुछ बात इशारों में बता देती है,
अभी -अभी उस गली से गुजरा हूँ,
मैंने देखा कि उसकी सिसकियाँ,
फौलाद को भी गला देती है,
मैंनें चाहा झाक लूँ उसको झरोखों से,
हर बार पर्दें से खुद को छुपा लेती हैं,
तुम्हें याद है जब हम बिल्कुल करीब थें,
हाँ, सही है कि हम कभी मिले ही नहीं,
मगर फिर भी हम रोज मिलतें थे,
अपने अपने सपनों के साथ,
सपने भी तो एक ही थें,
तुमने उड़ान भर ली,
हम फड़ - फड़ाते रह गए,
पहुँची तो तुम भी नहीं , मंजिल पर
हाँ, साया जरूर पा लिया तुमने,
टूटे नहीं है हम भी अभी,
समंदर में तूफान जारी है,
हमारा अभियान जारी है।
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