जीवंत वर्तमान,
गर्भित भविष्य,
सिसकते चेहरे,
रेगती जिन्दगी,
आशावान कल,
हे काल! तुम हो,
महज एक क्षण,
परन्तु तुम्हारे,
इतने भाव,
भला कैसे?
हो अभिव्यक्त,
कभी पतझड़,
कभी वसंत,
कभी गर्मी,
कभी शिशिर,
कभी सुख,
कभी दुख,
कभी अमावस्या,
कभी पूर्णिमा,
हे कालचक्र!
अद्भुत हो तुम,
अभी तुम्हारे,
और भी रुप|
मैं तो एक,
सरल मानव,
तुम्हीं कहो,
कैसे रहूँ मैं?
हर एक क्षण,
तुम्हारा कृतज्ञ,
और आनंद-विभोर|
Adhbuth
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मुस्तफा भाई😇🙏
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